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डरना छोड़ो, निडर बनो This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

डरना छोड़ो, निडर बनो

एक दिन, आनंद अपनी मम्मी को कहता है कि क्या भूत हमारे घर में भी आ सकते हैं। उसकी मम्मी ने कहा- भूत जैसा कुछ भी नहीं होता। आनंद ने कहा- मेरे दोस्त ने बताया कि रात के वक्त आत्माएं भटकती हैं, जिनकी बड़े-बड़े हाथ, और डरावना चेहरा होता है। उसकी मम्मी ने कहा- भूत-प्रेत काल्पनिक होते हैं। लेकिन फिर भी, उसके दिमाग में, ये सब चलता रहा। जब रात को, सोने का समय हुआ, तो आनंद बिस्तर पर लेट गया, लेकिन उसे नींद नहीं आई। अंधेरे कमरे में उसे लग रहा था कि कोई है, जो उसे छुप कर देख रहा है। खिड़की से आने वाली रोशनी से कुछ परछाइयां बन रही थी, वो उनसे भी डर रहा था। कुछ देर बाद वो सो तो गया, लेकिन उसे एक सपना आया। सपने में, उसे एक भयानक परछाई दिखी। जैसे-जैसे वो डर रहा था, परछाई उसके और नजदीक

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आती गई। बड़े नाखुन और डरावने चेहरे वाली उस परछाई ने, उसे जकड़ लिया। और, अचानक उसकी नींद खुल गई। जोर से चिल्लाया। मम्मी को बताया कि उसने कैसा सपना देखा है। तब उन्होंने, आनंद को कहा- डरो नहीं, अगर फिर से वो परछाई दिखे, तो उसे कहना- मैं, तुमसे नहीं डरता, सामने आओ। आनंद सो गया, दोबारा उसे वही सपना आया। लेकिन इस बार उसने हिम्मत जुटाकर, कहा- मैं, तुमसे नहीं डरता, सामने आओ। जैसे जैसे वो ये कहने लगा, वो परछाई छोटी होती गई। और धीरे-धीरे दिखना बंद हो गई। ठीक यही हमारी जिंदगी में होता है। हम अपने डर से जितना डरते हैं, वो उतना ही बड़ा हो जाता है। अगर हम, उसका डटकर सामना करें, तो हर डर को जीता जा सकता है।